कोरोना वायरस का कहर पूरे विश्व में फैल रहा है, ऐसे में देशभर के वैज्ञानिक, डॉक्टर्स मिलकर इसकी वैक्सीन (टीका) बनाने में लगे हैं. हालांकि अभी तक ऐसी कोई वैक्सीन नहीं आई है, जिससे कोरोना को जड़ से खत्म किया जा सके. आइए ऐसे में जानते हैं वैक्सीन के इतिहास के बारे में. यहां विस्तार से पढ़ें जानकारी.
इतिहास में प्लेग, चेचक, हैजा, टाइफाइड, टिटनेस , रेबीज, टीबी, पोलियो जैसी कई महामारी फैली थीं, जिनकी वजह से लाखों-करोड़ों लोगों की जान गई थी.
सदियों से किए जा रहे अध्ययन और शोध बताते हैं कि किसी भी संक्रामक बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण बहुत ही प्रभावी और कारगर उपाय है. शुरुआत में दुनिया में चेचक, पोलियो और टिटनस जैसे रोगों से निजात टीकाकरण के माध्यम से पाई गई थी.
इस बीमारी के लिए बना था पहला टीका (वैक्सीन)
कई दशकों तक चेचक का प्रकोप जारी रहा था, जिसकी वजह से कई लोगों को जान गंवानी पड़ गई थी. चेचक दुनिया की पहली बीमारी थी, जिसके टीके की खोज हुई. 1976 में अंग्रेज चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके का आविष्कार किया.
कौन थे ए़डवर्ड जेनर
वह एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे. विश्व में इनका नाम इसलिए भी प्रसिद्ध है कि इन्होंने 'चेचक' के टीके का आविष्कार किया था. एडवर्ड जेनर के इस आविष्कार से आज करोड़ों लोग चेचक जैसी घातक बीमारी से ठीक हो रहे हैं और अपने जीवन का आनंद ले रहे हैं. यदि एडवर्ड जेनर न होते तो आज दुनिया के करोड़ों लोग प्रतिवर्ष सिर्फ 'चेचक' के कारण मारे जाते.
रेबीज का टीका
रेबीज भी एक ऐसी बीमारी है, जिसका संक्रमण जानलेवा होता है. प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने रेबीज के टीके का सफल परीक्षण किया. उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था. बता दें, रेबीज कुत्ते के काटने से होता है.
Source - Aaj Tak