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10 Apr 2020

जानें- कोविड-19 से लड़ने के लिए क्या कर रहे इंडिया के इंजीनियर्स



भारत ही नहीं इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना संकट से सहमी हुई है. ज्यादातर देशों में लॉकडाउन जैसी स्थि‍तियां हैं. दुनिया में टॉप माने जाने वाले भारत के होनहार इंजीनियर्स इस दौर में तमाम इनोवेशंस में जुटे हैं. आइए जानें, कोविड19 को हराने के लिए टॉप आईआईटी और वहां के भावी इंजीनियर्स की टीम क्या कर रही है. अब तक देश की आईआईटीज के किस तरह के इनोवेशंस सामने आए हैं. 

बता दें कि इस वक्त देश की आईआईटी संस्थानों में वैक्सीन को खोजने से लेकर वायरस की जांच करने की नई विध‍ि तैयार करने पर काम हो रहा है. एक आईआईटी ने अपने कैंपस को क्वारनटीन वार्ड बनाने की अनुमति दी है. इसी तरह दूसरे आईआईटी संस्थान भी इनोवेशंस में लगे हुए हैं. 

इसी कड़ी में आईआईटी-दिल्ली के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस के परीक्षण का एक नया तरीका इजाद किया है. ये तरीका परीक्षण किट की लागत में भारी कमी लाने का दावा करता है, जो वर्तमान में लगभग 4,500 रुपये है. आईआईटी दिल्ली का दावा है कि इससे किट की अनुपलब्धता की समस्या भी खत्म हो जाएगी क्योंकि इन्हें देश में ही विकसित किया जा सकेगा. फिलहाल इस पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), पुणे की मुहर लगनी बाकी है. 

वहीं आईआईटी-गुवाहाटी के शोधकर्ताओं का एक दल परीक्षण किट के साथ-साथ कोरोनावायरस के लिए एक टीका विकसित करने के लिए काम कर रहा है. टीम का नेतृत्व संस्थान की जैव प्रौद्योगिकी इकाई विभाग के तहत वायरल इम्यूनोलॉजी लैब से एसोसिएट प्रोफेसर सचिन कुमार कर रहे हैं. 

कोविड 19 के ख‍िलाफ जंग में IIT खड़गपुर के छात्रों ने जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए 12 क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में वीडियो बनाए हैं. छात्रों ने अब तक असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल और तेलुगु में वीडियो बनाए हैं. टीम के प्रयासों की सराहना मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में की है. 

इसी क्रम में कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए आईआईटी हैदराबाद ने हैंड सैनिटाइटर विकसित किए हैं और ये कैंपस के अंदर और साथ ही समुदाय के लिए भी मुफ्त में उपलब्ध करा रहे हैं. इसे सबसे पहले आईआईटी-हैदराबाद की दो महिला शोधकर्ता शिवकल्याणी अडेपु और मुद्रिका खंडेलवाल ने बनाया. दोनों ने कहा कि यह "परीक्षा की घड़ी में उनका छोटा योगदान है और वे सैनिटाइज़र का व्यवसायीकरण नहीं करेंगीं. 

IIT रुड़की के दो शोधकर्ताओं -सिद्धार्थ शर्मा और वैभव जैन ने 150 लीटर से अधिक हर्बल हैंड सैनिटाइज़र तैयार किया है. इसमें मॉइस्चराइज़र के भी गुण हैं. इस उत्पाद को आईआईटी-रुड़की परिसर में मुफ्त में वितरित किया जा रहा है. वहीं आईआईटी-खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने दो अलग-अलग अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइटर विकसित किए हैं. टीम में रिसर्च स्कॉलर अतुल कुमार ओझा, अयान गोप, अनुरुप मुखोपाध्याय शामिल थे. 

इसी कड़ी में IIT- बॉम्बे ने अपने चार हॉस्टल कैंपस को क्वारनटीन वार्ड के रूप में उपयोग की अनुमति दी है. वहीं तेलंगाना के मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, केंद्रीय विद्यालय सहित कई संस्थानों ने अपने कमरों औऱ हॉल को स्वास्थ्य संस्थान बनाने की पेशकश की है. 

Source - Aaj Tak

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